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बाल एवं युवा साहित्य >> ऐसा क्यों होता है

ऐसा क्यों होता है

हरीश यादव

प्रकाशक : आत्माराम एण्ड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2001
पृष्ठ :44
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5090
आईएसबीएन :0000

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ऐसा क्यों होता है इस पर विचार संबंधी बिन्दु....

Aisa Kyon Hota Hai-A Hindi Book by Harish Yadav - ऐसा क्यों होता है - हरीश यादव

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

ऐसा क्यों होता है

चपाती में पकने के बाद दो परतें क्यों बन जाती हैं ?

चपाती बनाने के लिए प्रारम्भ में जब पानी की सहायता से आटा गूँधा जाता है तब गेहूँ में विद्यमान प्रोटीन एक लचीली परत बना लेती है जिसे लासा या ग्लूटेन कहते हैं। लासा की विशेषता यह है कि वह अपने अदंर कार्बन-डाई-आक्साइड सोख लेती है, इसी कारण आटा गूँधने के बाद फूला रहता है।

चपाती को सेंकने पर लासा में बंद कार्बन-डाई-आक्साइड फैलती है और चपाती के ऊपरी भाग को फुला देती है। जो भाग तवे के साथ चिपका होता है उसकी पपड़ी-सी बन जाती है, इसी प्रकार दूसरी तरफ से सेंकने पर चपाती के दूसरी तरफ भी पपड़ी बन जाती है। इन दो पपड़ियों के बीच बंद कार्बन-डाई-आक्साइड गैस और भाप चपाती की दो अलग-अलग पर्ते बना देती हैं। कार्बन-डाई-आक्साइट गैस बनने के लिए आटे में लासा की उपस्थिति आवश्यक है। गेहूँ की चपाती खूब फूलती है परन्तु जौ, बाजरा मक्का आदि की चपाती नहीं फूलती या कम फूलती है तथा इनमें परतें भी नहीं बनतीं क्योंकि इन अनाजों में लासा की कमी होती है।

ऊँचे स्थानों पर दाल पकने में समय क्यों लगता है ?

जमीन से बढ़ती हुई ऊँचाई के साथ-साथ वायुमण्डलीय दाब भी क्रमशः कम होता जाता है। दाब के साथ द्रव के क्वथनांक में भी परिवर्तन होता है द्रव का क्वथनांक दाब की वृद्धि के साथ बढ़ता है और दाब की कमी के साथ घटता है। यही कारण है कि ऊँचे स्थानों या पहाड़ों पर वायुमण्डलीय दाब कम हो जाने से वहाँ पानी 100 डिग्री से कम ताप पर ही उबलने लगा है और दाल पकने में ज्यादा समय लगता है।


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